विकलांगता : नहीं एक अभिशाप
विकलांगता : नहीं अभिशाप !
– डॉ० उपासना पाण्डेय
विकलांग होने का न करो संताप,
विकलांगता नहीं कोई अभिशाप !
अंग विहीनता में नहीं तुम्हारा दोष
फिर मानस पटल पर कैसा रोष!
शारीरिक हीनता से हो जाओ पार,
तुम्हारे पास मानसिक शक्ति अपार ।
प्रत्येक मानव में होता कुछ विशेष गुण,
अन्तर्निहित विशिष्टता को तू ढूँढ !
स्वयं को असहाय समझने की भूल,
तुम्हारी अपनी ही है कोई चूक ।
यदि स्वयं पर हो दृढ़ विश्वास,
तो मनुष्य बनता, आम से खास ।