वाह टमाटर !!
वाह टमाटर ! तू तो आज कमाल हो गया।
कल था हरा, आज सच में लाल हो गया।।
बिक रहा था कल फूटी कौड़ी के दाम तू।
आज ख़ुशक़िस्मती से मालामाल हो गया।।
पैदा हुआ कल मिक़दार में तब फेंका गया।
आज तुझे देख पाना मानो मुहाल हो गया।।
अमीरों का क्या, तुझे हक़ से है ख़रीद लेते।
ग़रीबों के लिये तू ख़्वाब-ओ-ख़याल हो गया।।
बहुत हुआ जुल्म, तेरा अकड़ अब तू छोड़ दे।
तुझे पता नहीं तू कैसा एक मिसाल हो गया।।
©® मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल
#मिक़दार = मात्रा, परिमाण