वास्तविकता
वास्तविकता से… परे हो तुम…
सुख-सुविधा से… परे हो तुम ॥
महत्व-अमहत्व… कुछ भी नहीं…
इस दुविधा से… परे हो तुम ॥
क्या बिगाड़ेंगी… मेरा परिस्थिति…
साँसों की स्पर्द्धा से… परे हो तुम॥
जीवन काल का… कठिन समय…
समय का इक… आराम हो तुम ॥
मेरी ही तरह से… दिखने वाले…
बस केवल इक… इंसान हो तुम ॥
मैं कवि हूँ… मेरा सम्मान हो तुम…
मैं शून्य हूँ… मेरी पहचान हो तुम ॥