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27 Nov 2022 · 1 min read

वासना के भर से प्रेम पात्र खाली है

?वासना के भार से प्रेम पात्र खाली है*
******************************

वासना के भार से प्रेम पात्र खाली है,
प्यार के बिना अधूरी पड़ी थाली है।

ढूंढती है नारी विश्वास अपने प्यार में,
प्यार के अभाव में आशिक जाली है।

अर्पण हो तन-मन प्रेम के इस खेल में,
खाली हाथ से भी बज जाती ताली है।

तपती दहक़ी काया में उलझी माया,
फल उगाकर भी भूखा रहता माली है।

सौ बार सोचे पथ बदलती मनसीरत,
फिर भी फूलों से लदी प्रेम डाली है।
*****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
58 Views
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