*वाल्मीकि आश्रम प्रभु आए (कुछ चौपाइयॉं)*
वाल्मीकि आश्रम प्रभु आए (कुछ चौपाइयॉं)
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1
वाल्मीकि आश्रम प्रभु आए ।
किया दंडवत आशिष पाए।।
ऋषि त्रिकालदर्शी सब ज्ञाता ।
जानें कौन सपूत-कुमाता।।
2
कहा राम को कपट न भाते।
निश्छल हृदय राम को पाते।।
जिसमें ईर्ष्या-भाव न आते ।
उसी हृदय में राम समाते ।।
3
मातृ-रूप जिसको पर-नारी।
मिले राम शुभ मंगलकारी।।
वन-निवास उत्तम समझाया ।
चित्रकूट पर्वत बतलाया ।।
4
मंदाकिनी नदी तट जाओ ।
राम वहीं पर कुटी बनाओ ।।
परामर्श ऋषिवर का माना।
पर्णकुटी में रहना ठाना।।
5
अवध सुमंत्र अकेले आए ।
दृश्य देख दशरथ घबराए।।
कहा मरण की अब अभिलाषा।
राम-राम सॉंसों की भाषा।।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451