वार्ता
नयनो से वार्ता की नई रीति हो गई
अंतर में सूक्ष्म भावों की अनुभूति हो गई
जीवन में राम आए तो आराम हो गया
स्नेह जब उदित हुआ तो प्रीति हो गई
कुछ कहो ना कहो तुम भले चुप रहो
नैन तो मन की चुगली किए जाएंगे
जब मिलेंगे लजा कर यह झुक जाएंगे
और खुलेंगे तो खुलकर के मूंद जाएंगे
मौन संवाद वाणी से ज्यादा मुखर
सब बयां कर देती है नजर से नजर
वाणी का घाव होता है गहरा मगर
जान ले लेता है उनका तीरे नजर
मौन धारण का अधरों ने प्रण ले लिया
वार्ता अब नयन ही करेंगे सदा