वाद्विभक्ति
आधार छंद- वाद्विभक्ती (मापनीयुक्त मात्रिक)
मापनी- गागाल लगागागा गागाल लगागागा
२२१ १२२२ २२१ १२२२
समान्त- आये, अपदान्त
—: गीतिका :—
२२१ १२२२ २२१ १२२२
कान्हा मुरली प्यारी,राधा मन-मन भाये।
मनमीत मुरारी ने,उर चोर लिया हाये।।
वो नटखट मोहन से,मिलना यमुना तीरे,
मृदु नेह सुलोचन में, स्वर्णिम सपने छाये।
द्वय एक हुए मन से, जोगन बन जोग लिया
मन मुग्ध हुई मीरा, मृदुगान मगन गाये।।
अनुराग जगा ऐसा, हर छोर पिया दीखे,
देखूँ जब भी दर्पण, छवि श्याम की भरमाये।
नीलम मृगतृष्णा से,मीठा भ्रम पलता है,
दिव्य ज्योति हरे तम मन,नवभोर निखर आये।
नीलम शर्मा ✍️