वादा
ये दिल बेकरार दिल बार -बार पूछता
क्यों किया दम घुटने वाला वादा ?
ये दिल बार -बार पूछता है……..
अपने ही अरमानों का शर्मसार किया।
लग जाएं ना तेरे दमन में दाग
यहीं रोष प्रकट करते हूं ।
चांदी की रोशनी से छिपा
भागता – भागता फिरता हूं ।
कहीं दिखा ना जाइए परछाई ,
परछाई को भी निगरानी में रखता हूं ।
संयम की क्रांतिकारी अल्फाज में
हर आहट को समले रखता हुई ।
टूटी फूटी से संसार बचाए रखता हुई
मैं और मेरी खयमोशी चुप रह कर ,
किया हुआ वादा पूरा करता हूं।
रहे हर दिन और रात खुशी से
भरपूर तेरी ,यही रात की तनहाई
ख्वाबों में भी बोला करता हूं ।
गौतम साव