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2 Jun 2021 · 1 min read

वादा..

वादा …

ये शमा है, मैं हूँ या ज़िंदगानी पिघल रही
तेरे इक वादे पे रूह क़तरा क़तरा जल रही

फ़ितरत तेरी वादे से मुकरना,नई बात नहीं
रोग-ए-इंतज़ार में उमर ज़र्रा ज़र्रा ढल रही

तेरी उम्मीद का दहलीज़ पे मिलना रोज़ाना
गोया जाती साँसों से आती साँसें मिल रही

वादा ख़िलाफ़ी की सज़ा दूँ भी तो दूँ किसको
वही मुंसिफ़ वही मसीहा जो मेरा क़ातिल रही

रेखांकन I रेखा

Language: Hindi
2 Likes · 5 Comments · 630 Views

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