वादा करके चले गए
वादा करके चले गए, मुड़ कर भी न देखा
शर्म बेचकर खींच गए, अविश्वास की रेखा
जानबूझकर करते हैं,वे हमको अनदेखा
सत्ता सुख में रहते हैं, देते हैं वे धोखा
बड़े बड़े वादे करते हैं, राजनीति के पुरोधा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वादा करके चले गए, मुड़ कर भी न देखा
शर्म बेचकर खींच गए, अविश्वास की रेखा
जानबूझकर करते हैं,वे हमको अनदेखा
सत्ता सुख में रहते हैं, देते हैं वे धोखा
बड़े बड़े वादे करते हैं, राजनीति के पुरोधा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी