“वाणी की भाषा”: कविता
वाणी ही परिचय है हमारा और पहचान बताती है,
वाणी ही दर्पण है हमारा और सम्मान दिलाती है!!
वाणी मे शीतलता हो तो नम्र बनाती है,
वाणी से ही सब लोगो की पहचान बनाती है!!
वाणी से ही बाग़ हैं खिलते और आग भी लगाती है,
प्यारे अगर नम्र न हो वाणी तो अंगार भी सुलगाती है!!