Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Dec 2023 · 1 min read

वाचाल सरपत

हे गुण ज्ञानी नहि अभिमानी
मै छा जाता बनती ढानी ।

जब मैं खेतों का प्रहरी बन जाता
चलती घर की दाना पानी ।

हमारी सेठा की कलमों से
लिखते – पढ़ते बनें “कलाम” ।

तृणकुटी बनाकर परशुराम की
वीर कर्ण सम नहि कोइ दानी।

हमारी पात में तीखी धार
काटे जिह्वा मरे फेटार ।

हमारे सूपों की फटकार
बनता चावल गेहूं ज्वार ।

जब मैं बन जाता हूं मंण्डप
होती शादी बढ़ता प्यार ।

रंगते मूंजा बनता भांडा
मौनी सिकहुला तौला धार ।

पूरी करता सौंच जरूरत
हमरी ओट में मिले निदान ।

जब हमरी मूंज से सजती अर्थी
सब मर जाता है अभिमान ।

फिर हमारी जरूरत होगी तुमको।
जब होगा नष्ट यहां विज्ञान ।।

-आनन्द मिश्र

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 386 Views

You may also like these posts

सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां
Abhishek Soni
बेमेल रिश्ता
बेमेल रिश्ता
Dr. Kishan tandon kranti
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
Phool gufran
पहले जैसी कहाँ बात रही
पहले जैसी कहाँ बात रही
Harminder Kaur
शेष न बचा
शेष न बचा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
न मुझे *उम्र* का डर है न मौत  का खौफ।
न मुझे *उम्र* का डर है न मौत का खौफ।
Ashwini sharma
नज़र
नज़र
Shakuntla Shaku
बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
सत्यदेव
सत्यदेव
Rajesh Kumar Kaurav
गुरुकुल शिक्षा पद्धति
गुरुकुल शिक्षा पद्धति
विजय कुमार अग्रवाल
*होली*
*होली*
Dr. Priya Gupta
हार पर प्रहार कर
हार पर प्रहार कर
Saransh Singh 'Priyam'
धुंध कुछ इस तरह छाई है
धुंध कुछ इस तरह छाई है
Padmaja Raghav Science
आंखों की नशीली बोलियां
आंखों की नशीली बोलियां
Surinder blackpen
वक्त ही कमबख्त है।
वक्त ही कमबख्त है।
Rj Anand Prajapati
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आज का दौर
आज का दौर
Shyam Sundar Subramanian
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
विधाता है हमारे ये हमें जीना सिखाते हैं
विधाता है हमारे ये हमें जीना सिखाते हैं
Dr Archana Gupta
उमड़ते जज्बातों में,
उमड़ते जज्बातों में,
Niharika Verma
विलीन
विलीन
sushil sarna
सामयिक साहित्य
सामयिक साहित्य "इशारा" व "सहारा" दोनों दे सकता है। धूर्त व म
*प्रणय*
आसमान का टुकड़ा भी
आसमान का टुकड़ा भी
Chitra Bisht
क्यूँ मन है उदास तेरा
क्यूँ मन है उदास तेरा
योगी कवि मोनू राणा आर्य
शर्ट के टूटे बटन से लेकर
शर्ट के टूटे बटन से लेकर
Ranjeet kumar patre
dr arun kumar shastri -you are mad for a job/ service - not
dr arun kumar shastri -you are mad for a job/ service - not
DR ARUN KUMAR SHASTRI
समय बदलता
समय बदलता
surenderpal vaidya
2848.*पूर्णिका*
2848.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...