वागीश्वरी सवैया
वागीश्वरी सवैया
122 122 122 122, 122 122 122 12
सभी प्रेम से पर्व होली मनाओ, मिटा दुश्मनी को लगाओ गले।
न शिकवा शिकायत रहे चित्त में आज रूठे हुए को मना आप ले।
लगाओ बड़े प्रेम से रंग प्यारे, न डालो वहाँ जो किसी को खले।
बिठा के खिलाओ बड़े प्यार से जी, रखे गेह मिष्ठान जो भी तले।
अदम्य