वाक्य से पोथी पढ़
शिशु की अंगुलि थामे , पिता शाला लाएं ।
हिय के बसत दुलारे , गुरु पग छाड़ि आएं ।।
कर जोड़ कर कि नमन , तुम ही ज्ञान दाता।
बनाना सुत सुजान , तुम्ही भाग्य -विधाता ।
भाल झुके न माँ का , बढ़ै तात का मान ।
दिनकर बने नभ का , जग पाएगा सम्मान।।
प्रथम सत्र शाला कि, मनवां रहा फीखा ।
वर्ण शब्दों में ढ़ाल , हार गुँथना सीखा ।।
वाक्य से पोथी पढ़, अंतर अभिलाषा भर ।
सवप्न की उड़ान गढ़, मिटा बचपन का घर।।
पन्ने पढ़ भरा ज्ञान , उधि भरने का गुमान ।
मील दूर नव सृजन, फल विहीन प्रतान ।।
श्र्वेत-श्याम मेल से , चढ़ा नहि चौखा रंग ।
मर रही मर्यादाएं , रीति साजी बदरंग ।।
जनहित काज न आएं, अंधकार है नदान।
खण्ड-खण्डित सकल बंधन, संभल जा ऐ इंसान।।
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शेख जाफर खान