वाकिफ हो चुके हैं…
हर रोज सितम मुझपर तुम ढा क्यों रहे हो,
अब बेवजह हक अपना जता क्यों रहे हो,
वाकिफ हो चुके हैं, तुम्हारे ख्यालातों से हम,
यूँ जज्बात सारे जमाने को बता क्यों रहे हो?
– मानसी पाल ‘मन्सू’
हर रोज सितम मुझपर तुम ढा क्यों रहे हो,
अब बेवजह हक अपना जता क्यों रहे हो,
वाकिफ हो चुके हैं, तुम्हारे ख्यालातों से हम,
यूँ जज्बात सारे जमाने को बता क्यों रहे हो?
– मानसी पाल ‘मन्सू’