वाक़िफ़
तेरी नजाकत और उल्फत से
वाकिफ हूं,
मेरे सब्र का इंतिहान
आजमाने की कोशिश ना कर।
बिखर जाएगा तेरा गुरूर
यूं पतझड़ की तरह तिनका तिनका।।
आखिर कब तक छुपा के रखोगी,
कब तक सब्र का बांध रोके रखोगी ।
डूब जाएगी कायनात तेरी नशीली आंखों में,
पर्दा पास हो जाएगा इतना जुल्म ना कर खुद पर।
बहाने बनाकर जरूर बनावटी चेहरेको छुपा लोगी,
धीरे-धीरे अंदाजे बयान करोगी हकीकत ।।