वह सु रचना देश का सम्मान है ।
राष्ट्रहित गह दिव्यता,दे चेतना ।
छाँट दे जो सहज में जन-वेदना ।
वह सु रचना देश का सम्मान है।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना ।
रचनाकार-बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए”एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
1 मई 2017
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” कृति का मुक्तक
●”जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।