– वह मूल्यवान धन –
आशा है उस मूल्यवान धन की
जो मिले सबसे सरल किताबो से
जो मिले सबसे कड़वा अनुभव से
जो मिले सबसे श्रेष्ठ अंतर्मन से
आशा है उस मूल्यवान धन की
वह कुए के समान है
हम बाल्टी के समान है
जिसकी जितनी ग्रहण शक्ति है
बाल्टी में पानी उतना आएगा
आशा है उस मूल्यवान धन की
जिसकी उम्र छोटी हो या बड़ी हो
सभी को ग्रहण करना है
विनम्रता को सदा साथ रखना है
अहंकार को गुलाम नहीं बनाना है
आशा है उस मूल्यवान धन की
जिसमे सूरज और उजाला भी है
ना रहे अज्ञान , उस रत के समान ,
जिसमे ना चाँद है , ना तारे -सितारे है
आशा है उस मूल्यवान धन की
जिसे न आयकर वाले ले जा सकते है
जिसे न चोर चुरा सकते है
जिसका न कभी अवक्षेप होता है
वह , वह , वह –
मूल्यवान धन ” ज्ञान ” है , ” विद्या ” है |
– राजू गजभिये
बदनावर जिला धार ( मध्यप्रदेश )