वह भी चाहता है कि
वह भी चाहता है कि,
उसका भी सपना साकार हो,
जिसको वह देखता है सबकी तरहां।
वह चाहता है कि,
उसका भी एक संसार हो,
जहाँ खुशी हो, मौज हो,
सबकी तरहां वह भी आबाद हो,
वह भी आज़ाद है।
ऐसा वह सोचता है रातभर,
कभी वह चिराग जलाकर देखता है,
अपना सपना, जो उसने देखा है।
लेकिन वह लाचार है,
क्योंकि वह नादान है,
अपनों से उसको कोई मदद नहीं।
और यह दुनिया तो,
उठाती है उसकी मजबूरी का फायदा,
भगवान भी क्या मदद करेगा उसकी,
क्योंकि वह भी तो एक मूरत है,
जो उसकी तरहां ही खामोश है।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)