वह छोटी बच्ची
——————————-
वह रो रही थी।
अभ्यस्त रुदन।
वह हँस रही थी।
स्वच्छ हंसी।
दु:ख कोई नहीं था।
अनुभूति भी नहीं।
सुख था और रोने का हौसला।
रोना जीत की खुशी हो!
समझ से परे।
पर, हंसने का बेतहाशा मन।
हँसाने के लिए सारा मानवीय मन।
रुलाने के लिए उसका अपना मन।
वास्तव में वह जी रही थी।
जीवन के हठ पी रही थी।
वह जी रही थी शैशव।
वह छोटी बच्ची।
बच्चे जीते हैं इसी तरह।
————