वह इंकलाब जो उधार है
ऐ देश, तुझपे क़र्ज़ है
जवानी भगतसिंह की
बेकार जाएगी क्या
कुर्बानी भगतसिंह की…
(१)
मूर्दों के बीच रहकर
हो जाऊं मैं न मूर्दा
दिल में आग लगाती है
कहानी भगतसिंह की…
(२)
जिससे मैं लिखता हूं
रोज़ गीत इंकलाब के
मेरे पास एक क़लम है
निशानी भगतसिंह की…
(३)
वह मक़सद मेरे लिए
बढ़कर है जन्नत से भी
जिसके लिए फना हुई
जिंदगानी भगतसिंह की…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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