नव वर्ष हैप्पी वाला
वही सूर्य ग्रह चंद सितारे,
वही धरा व गगन।
ईश्वर का गुणगान करो,
मस्ती में रहो मगन।
साँसों की करो चौकीदारी,
खर्च करो न फिजूल।
या इस जग में स्वार्थ कमाओ,
या फिर खोजो मूल।
कहाँ से आये कहाँ है जाना,
कभी कभी करो याद।
मानव जन्म सफल हो कैसे,
हरि से कर फरियाद।
चलो मान ले नव वर्ष आया,
सबके मन है हर्ष।
आगे ऐसी रहनी धारो,
प्रति दिन हो उत्कर्ष।
झूठ मूठ का हल्ला गुल्ला,
हैप्पी है न्यू ईयर।
यदि कुछ मन वृत्ति बदले,
तब खुश होना डियर।
कितनी उत्तम चैत्र प्रतिपदा,
नवदुर्गा घर आती।
नये वर्ष में भक्ति का वर
देवी मां दे जाती।
ईसवी सन को सब कुछ माना,
नववर्ष इसी को जाना।
अपना सब कुछ भूला सृजन,
सतगुर जग बौराना।
काटो केक डांस करो जम के,
बाहों में खूब झूलो।
ईसवी से एतराज न कोई,
पर अपना न भूलो।
-सतीश सृजन