Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2023 · 1 min read

नव वर्ष हैप्पी वाला

वही सूर्य ग्रह चंद सितारे,
वही धरा व गगन।
ईश्वर का गुणगान करो,
मस्ती में रहो मगन।

साँसों की करो चौकीदारी,
खर्च करो न फिजूल।
या इस जग में स्वार्थ कमाओ,
या फिर खोजो मूल।

कहाँ से आये कहाँ है जाना,
कभी कभी करो याद।
मानव जन्म सफल हो कैसे,
हरि से कर फरियाद।

चलो मान ले नव वर्ष आया,
सबके मन है हर्ष।
आगे ऐसी रहनी धारो,
प्रति दिन हो उत्कर्ष।

झूठ मूठ का हल्ला गुल्ला,
हैप्पी है न्यू ईयर।
यदि कुछ मन वृत्ति बदले,
तब खुश होना डियर।

कितनी उत्तम चैत्र प्रतिपदा,
नवदुर्गा घर आती।
नये वर्ष में भक्ति का वर
देवी मां दे जाती।

ईसवी सन को सब कुछ माना,
नववर्ष इसी को जाना।
अपना सब कुछ भूला सृजन,
सतगुर जग बौराना।

काटो केक डांस करो जम के,
बाहों में खूब झूलो।
ईसवी से एतराज न कोई,
पर अपना न भूलो।

-सतीश सृजन

Language: Hindi
311 Views
Books from Satish Srijan
View all

You may also like these posts

यदि कोई देश अपनी किताबों में वो खुशबू पैदा कर दे  जिससे हर य
यदि कोई देश अपनी किताबों में वो खुशबू पैदा कर दे जिससे हर य
RAMESH Kumar
एक सोच
एक सोच
Neeraj Agarwal
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
सात शरीर और सात चक्र को जानने का सरल तरीके। लाभ और उद्देश्य। रविकेश झा।
सात शरीर और सात चक्र को जानने का सरल तरीके। लाभ और उद्देश्य। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
*दशरथ के ऑंगन में देखो, नाम गूॅंजता राम है (गीत)*
*दशरथ के ऑंगन में देखो, नाम गूॅंजता राम है (गीत)*
Ravi Prakash
खुशियों की आँसू वाली सौगात
खुशियों की आँसू वाली सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पापा
पापा
Dr Archana Gupta
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गुलमोहर के लिए
गुलमोहर के लिए
Akash Agam
"विश्वास"
Dr. Kishan tandon kranti
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
Phool gufran
हम यथार्थ सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते हैं
हम यथार्थ सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते हैं
Sonam Puneet Dubey
4331.*पूर्णिका*
4331.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुकद्दर
मुकद्दर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दोहा पंचक. . . . . कल
दोहा पंचक. . . . . कल
sushil sarna
ईश्वर
ईश्वर
Shyam Sundar Subramanian
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
तुम न जाने कितने सवाल करते हो।
Swami Ganganiya
झरोखा
झरोखा
Kanchan verma
*कोपल निकलने से पहले*
*कोपल निकलने से पहले*
Poonam Matia
*क्या तुम्हें पता है*
*क्या तुम्हें पता है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
गुमनाम 'बाबा'
वो बचपन था
वो बचपन था
Satish Srijan
बिरहा
बिरहा
Shally Vij
আফসোস
আফসোস
Pijush Kanti Das
मेरा गांव
मेरा गांव
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मोर
मोर
विजय कुमार नामदेव
बचपन
बचपन
Indu Nandal
गुलाब और काँटा
गुलाब और काँटा
MUSKAAN YADAV
//सुविचार//
//सुविचार//
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मर्दाना हँसी ताक़तवर हँसी *मुसाफिर बैठा
मर्दाना हँसी ताक़तवर हँसी *मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Loading...