वही मेरा है वतन
हिल उठते हैं सिंहासन,
जब सिंह की आवाज होती है।
काशी में शंख बजता है,
अजमेर में नमाज होती है।
जहाँ का कण-कण है बलिदानी,
माटी-माटी है चन्दन;
वही मेरा है वतन।
वही मेरा है वतन।।
–विवेक भूषण पाण्डेय
हिल उठते हैं सिंहासन,
जब सिंह की आवाज होती है।
काशी में शंख बजता है,
अजमेर में नमाज होती है।
जहाँ का कण-कण है बलिदानी,
माटी-माटी है चन्दन;
वही मेरा है वतन।
वही मेरा है वतन।।
–विवेक भूषण पाण्डेय