वही करोना का रोना
ताल किनारे महुआ महकी
कूप किनारे चम्पा गमकी
आम्र खेत में दिखे न झूले
वर्षा फिरती बहकी बहकी
सावन मास उदासी बहना
हाथ लिए राखी सा गहना
कैसे जाऊँ?, भाई बुलाऊँ?
राह रोक कर खड़ा कोरोना
भौजाई भी फंसी मायके
राखी पर क्या करे आयके
सावन बिन पति….! चुभे न घाटा
भ्रात प्रेम के सम्मुख नाटा
कलयुग और कोरोना घाती
दलते मूंग सभी की छाती
एक राशि की भाई बहना
त्योहार को करें घिनोंना
निसर्ग कृपा है, फसल खूब है
नया भारत भी अनूप है
पर चीन की नियत नीति पर
अर्ध विश्व को लगता है डर ।