वही इश्क़ में आज मारा गया है
ग़ज़ल
काफ़िया-आरा
रदीफ़- गया है
122 122 122 122
जिसे महफ़िलो में नकारा गया है।
वही इश्क़ में आज मारा गया है।
उठा शान से सिर नही चल सकेगा
कि नज़रों से’ ऐसे उतारा गया है।
उसे खोजता वो अकेले जहाँ में
सफ़र में कहाँ तक विचारा गया है।
खुशी से नही जी सका एक पल भी
सदा वक़्त ग़म में गुजारा गया है
जिसे देखकर दिल उछलता था’ मेरा
वही दूर मुझसे वो’ यारा गया है।
न समझे हमारी विरह वेदना वो
कि जीने का’ मेरे सहारा गया है।
भले चैन से वो वहाँ जी रहे हो
यहाँ नींद सुख चैन सारा गया है।
अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहाँपुर, उ.प्र.