वहाँ राम है
रिश्तों में हो प्रेम तो,वहाँ राम हैं
वाणी हो मीठी,वहाँ राम हैं
जहाँ परस्पर सेवा भाव,वहाँ राम है
हनुमान सी भक्ति,वहाँ श्री राम हैं
बसे श्रद्धा मन में ज़ब, वहाँ राम है
निर्मलता की खुशबू बिखरे वहाँ राम है
स्नेह, न्याय,धर्म दिखे जहाँ, वहाँ राम हैं
सच्चाई का परचम लहरे, वहाँ राम है
शबरी सी प्रतीक्षा जहाँ,वहाँ राम है
भरत, लक्ष्मण जैसा त्याग,वहाँ राम है
प्राण जाये पर वचन ना जाये
मन में ना हो चतुराई, वहाँ राम है
पर पीड़ा से मन दुखी ज़ब, वहाँ राम है
स्वीकार,क्षमा भाव से ओतप्रोत मन,वहाँ राम है
है सदभावना मन में, वहाँ राम है
जहाँ विश्वास है वहाँ श्री राम हैं
जहाँ प्रेम है वहाँ राम है। ✍️अनुजा कौशिक