वहशी नक्सलवाद
झपटें सारे नक्सली, जैसे गीदड़ बाज !
हमने सत्तर साल में, ढूंढा नहीं इलाज !!
यूं नोचे है देश को,वहशी नक्सलवाद!
देता है पीडा सदा, तन को जैसे दाद !!
खेलें होली खून की,…..हरदम नक्सलवाद !
करना होगा ठोस अब, हमको कदम इजाद !!
रमेश शर्मा.
झपटें सारे नक्सली, जैसे गीदड़ बाज !
हमने सत्तर साल में, ढूंढा नहीं इलाज !!
यूं नोचे है देश को,वहशी नक्सलवाद!
देता है पीडा सदा, तन को जैसे दाद !!
खेलें होली खून की,…..हरदम नक्सलवाद !
करना होगा ठोस अब, हमको कदम इजाद !!
रमेश शर्मा.