वस्त्र की चिंता नहीं थी शस्त्र होना चाहिए था।
वस्त्र की चिंता नहीं थी शस्त्र होना चाहिए था।
देश था परतंत्र तो आज़ाद होना चाहिए था।।
एक मिशन था युवक, सब दान होना चाहिए।
लहू मांगे आजादी तो बलिदान होना चाहिए।।
थी बनी बाधा नहीं कोई भी बंधन वाद कोई।
एक ही “आज़ाद” था न दूसरा “आजाद” कोई।।
समर्पित चिरंजीवी चंद्रशेखर आजाद को