वसूक़
कभी-कभी अनजाने गलतियां हो जातीं हैं ,
लाख कोशिश के बावजूद चूक हो जाती है ,
गर्दिश -ए -वक्त में कभी नसीब साथ नही देता,
करीब जीत को भी जो हासिल होने ना देता,
ज़िंदगानी में हर गलती एक सीख दे जाती है ,
हर शिकस्त -ए – शाम के बाद, जीत की सहर ज़रूर आती है,
सब्र का दामन थामकर जज़्बा -ए- उम्मीद जगाए रखना ,
हर फ़िक्र को टाल कर श़िद्दत- ए- सफर में आगे बढ़ते रहना,
डूबेंगे ये सितारे जो अब तक रहे गर्दिश में ,
तब कामयाबी का मेहर ‘उरूज़ होगा उफ़क में ,
मिटेगी तब ये श़बे तीरगी-ए- गम,
छाएगी हरसू रोशनी मसर्रत की इक नई सहर में।