वसुन्धरा
वसुंधरा
सुंदर सौम्य स्वभाव धारिणी,
विश्व धारणी उपकार करें।
नाना प्रकार वनस्पति लुटा कर,
अनंत जीवो का भरण करें।
तव तन चीर प्रस्फुटित जलधारा,
नदियां, झरने ,दरिया बहे।
शीतल जलपान करे जग सारा,
पुनः मेघों से जल अर्जित करें।
नित निज बहू कष्ट उठा कर,
सबसे निश्छल प्रेम करें।
हे माता शांत स्वरूपिणी,
सबका मल -मूत्र सोख करें।
हे धरा तू सब की जननी,
पाप पुण्य का भार धरे।
विचलित न हो मन कभी भी,
सबको अंत में गोदी करें।
मानव दानव सुर मुनि जन,
पशु पक्षी तुझ पर वास करें।
धर्म-कर्म तव अति अनोखा,
कैसा अद्वितीय धीर धरे।
खेल तेरी रजधूली में मां,
सभी बालपन व्यतीत करें।
असाध्य रोगों में ममतामयी,
विभिन्नऔषधि प्रदान करें।
तेरी पवित्र माटी का मैया
राम कृष्ण स्वाद चखे।
भोला श्मशान में भस्म रमाए,
ब्रह्मा सिरजन हार बने।
हे जग जननी कृपालु माता,
सब जीवो पर कृपा करें।
दूर हो महामारी और विषाणु,
ऐसा कुछ कल्याण करें।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश