Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2023 · 1 min read

वसुधैव कुटुंबकम

वसुधैव कुटुंबकम

काश कि कोई देश न होता, कोई भी जाति व धर्म न होता
सारी पृथ्वी होती एक राष्ट्र, कोई भी देश विशेष न होता।
अगर जो होता धर्म कोई, वह धर्म मात्र मानवता का होता
हिलमिल रहते भू पर जीव, सबका प्रकृति में हिस्सा होता।

मजहब सिर्फ इंसानियत होती, नाम धर्म के प्राण न जाते
न होती जाति, न रंगभेद, मनुष्य घृणा के पात्र न होते।
कर्म प्रधान होता यह विश्व, मानवश्रम, कर्म पूज्य सब होते
जलचर, नभचर, थलचर सारे, निज-निज की सीमा में रहते।
अतिक्रमित न कोई किसी को करता, नर नगर, गांव में रहते नदी, समुद्र ,वन कोई न छूता, होता जो भू पर सब खाते।

विद्यालय विज्ञान, भाषा के होते, कोई युद्ध-इतिहास न पढ़ता न होती सेना कहीं किसी की, करते सब अपनी खुद की रक्षा।
पासपोर्ट का काम न होता, मनवांछित कोई कहीं भी बसता
सुंदर ,सुखद सभ्यता होती, ‘वसुधैव कुटुंबकम’ मंत्र सच होता।
**********************************************************
–राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, मौलिक/स्वरचित।

1 Like · 83 Views
Books from Rajendra Gupta
View all

You may also like these posts

चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
Subhash Singhai
दोहा त्रयी. . . सन्तान
दोहा त्रयी. . . सन्तान
sushil sarna
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
गोंडीयन विवाह रिवाज : लमझाना
गोंडीयन विवाह रिवाज : लमझाना
GOVIND UIKEY
विवाह
विवाह
Shashi Mahajan
तेरी मोहब्बत में इस क़दर दिल हारे हैं
तेरी मोहब्बत में इस क़दर दिल हारे हैं
Rekha khichi
सजना कहाँ गइलऽ ?
सजना कहाँ गइलऽ ?
अवध किशोर 'अवधू'
कर्मफल
कर्मफल
मनोज कर्ण
नौ फेरे नौ वचन
नौ फेरे नौ वचन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
एक कविता उनके लिए
एक कविता उनके लिए
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*धन्य डॉ. मनोज रस्तोगी (कुंडलिया)*
*धन्य डॉ. मनोज रस्तोगी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इस क़दर
इस क़दर
Dr fauzia Naseem shad
स्मृति प्रेम की
स्मृति प्रेम की
Dr. Kishan tandon kranti
बाजार
बाजार
surenderpal vaidya
जय श्री राम।
जय श्री राम।
Anil Mishra Prahari
नया साल
नया साल
umesh mehra
मातृशक्ति
मातृशक्ति
Sanjay ' शून्य'
राम राम
राम राम
Sonit Parjapati
"बिना माल के पुरुष की अवसि अवज्ञा होय।
*प्रणय*
वह भलामानस / मुसाफिर बैठा
वह भलामानस / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
2984.*पूर्णिका*
2984.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
पूर्वार्थ
चीर हरण!
चीर हरण!
Jai krishan Uniyal
तुम दरिया हो पार लगाओ
तुम दरिया हो पार लगाओ
दीपक झा रुद्रा
झोटा नही हैं उनका दीदार क्या करें
झोटा नही हैं उनका दीदार क्या करें
RAMESH SHARMA
सीमाओं का परिसीमन
सीमाओं का परिसीमन
Nitin Kulkarni
- गजब हो गया -
- गजब हो गया -
bharat gehlot
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
Rj Anand Prajapati
Loading...