“ वसुधेव कुटुम्बकंम ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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सब कोई
मेरे अपने हैं
मैं उनके दिल
में रहता हूँ
शायद मिलन
हो ना हो
मैं बातें उनसे
करता हूँ !!
भाषाओं की
तकरार नहीं
धर्मों की
दीवार कहाँ है
नहीं रंग रूप
में भेद भाव
मजहब की
दीवार कहाँ है !!
विश्व हमारा
गाँव बना है
धरती- आकाश
हमारा है
सब हैं सबके
साथ यहाँ
एक – दूजे का
सहारा है !!
शक्तिशाली हम
बने सदा
पर शांति
बनाए रखना है
वसुधेव कुटुम्बकंम
के मंत्रों को
याद सदा ही करना है !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
नागपथ
दुमका
18.09.2022