वसंत
वसंत का जब होता आमद
हमारे आसपास के द्रुम पर
नए-नए हरे-भरे पल्लव का
हो जाता आगमन- पदार्पण ।
मृदुल वसंत के आय-पैठ से
जीव -जंतु सभी प्राणियों के
साथ- साथ नर -नारियों भी
हो जाते सानंद -हर्षोत्फुल्ल ।
वसंत ऋतु ही रजः स्राव
सबको मानस का विमोही
ये ऋतु नर-नारियों, बच्चों
सबका दिलासा – मोहिनी ।
वसंत ऋतु में ही तरू पे
नए – नए गातो के संग
विटप में आती मंजरिया
आसपास का समाँ सुरम्य।
वसंत ऋतु का बाट जोहना
रहता हर एक प्राणीवान को
पशु – पक्षियों को इनका
होता बेसब्री से तवक्को।
जिस तरह हमारे हयात में
वसंत आते तो जाते रहते
वैसे ही हमारे प्राणशक्ति में
हर्षो मर्ज़ आते जाते रहते ।