वसंत बहार
रविआगम रश्मियों के स्पर्श से किसलय ने मुस्कुराकर अभिवादन किया ,
पुष्प भी प्रफुल्लित होकर खिल उठे ,
पवन ने भी उन्हे झुलाकर स्वागत किया ,
कोयल के मधुर स्वर मुखर उठे ,
मोर ने आनंदित हो नर्तन किया ,
गौरैया भी खुशी से चहचहाने लगी ,
हलधर के हृदय में प्रसन्नता की हूक उठने लगी ,
वसंत के आगमन से आल्हाद चहुं ओर छा गया ,
निसर्ग का यह रूप हर किसी को भा गया ,
युवकों के मन उत्प्लावित् भावनाओं से मचलने लगे ,
नवयौवनाओं के उद्गारउद्यतपग नृत्य में थिरकने लगे।