वसंत पंचमी और माँ सरस्वती
वसंत पंचमी माघ मास की शुक्ल पक्ष की
पंचमी तिथि को मनाया जाता है,
ज्ञान की देवी सरस्वती और धन की देवी लक्ष्मी का
अवतरण दिवस भी वसंत पंचमी को हुआ था,
इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती का
कलश स्थापन कर पूजन, आरती किया जाता है,
वसंत पंचमी पर वाणी की अधिष्ठात्री देवी
माता सरस्वती की पूजा, प्रार्थना का विशेष महत्व है। शास्त्रानुसार वाग्देवी सरस्वती
ब्रह्मस्वरूप, कामधेनु और देवताओं की प्रतिनिधि
विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी
अमित तेजस्विनी और अनंत गुण शालिनी हैं,
माता सरस्वती की पूजा आराधना के लिए
माघ मास की पंचमी तिथि निर्धारित है,
माता के रहस्योद्घाटन का दिन भी
वसंत पंचमी को ही माना जाता है।
ये दिवस सरस्वती जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, माता सरस्वती को वागेश्वरी, भगवती, शारदा,
वीणावादिनी, वाग्देवी आदि नामों से भी जाना जाता है संगीत की देवी के रूप में भी इन्हें पूजा जाता है।
पुराणों में आज के दिन ज्ञान और बुद्धि देने वाली
माता सरस्वती की पूजा, उपासना के साथ
नए, शुभ कार्यों और गृह प्रवेश के लिए भी
अत्यंत शुभ माना जाता है,
वैसे भी माघ मास का अपना
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है,
क्योंकि वसंत पंचमी पर
शादी का अबूझ मुहूर्त भी बहुत खास होता है।
और सबको पता है कि बसंत पंचमी, बसंत ऋतु और
सरस्वती पूजा के साथ तीर्थ क्षेत्र में
स्नान दान का शुभ अवसर भी माघ मास में ही आता है,
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश