वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा
ये सर्द कोई रात नही
ठिठुरने की कोई बात नहीं
पाले का भय नही
कल नही आज नही
अब शीत इस पर भला क्या कहेगा
वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा
न असमय रिमझिम फुहारों का भय
न भिगने से बिमारीयों का भय
न बाढ़ जैसे हालातों का भय
विचरण करना होकर निर्भय
अब तो बादल पुर्ण मौन रहेगा
वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा
ग्रीष्म का कहर कौन न जाने
लू को भला कौन ना पहचाने
हाय रे गर्मी हर कोई माने
पर चिलचिलाती धूप न माने
ये बहता हुआ पसीना भी कहेगा
वसंत तो वसंत है वसंत ही रहेगा