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1 Apr 2022 · 1 min read

वसंत की हवा

वसंत की हवा चली, प्रफुल्ल है कली-कली।
प्रसून भी खिले कई,
सुगंध है नई-नई ।
विरंच की विभावरी, किशोर उम्र में ढली।

समष्टि में विलास है,
मनुष्य में हुलास है।
नई जिजीविषा जगी, पराग से भरी फली।

हरी-हरी वसुंधरा, हृदेश हर्ष से भरा।
अनंत आसमान में, छटा सुदर्श श्यामली।

प्रमत्त भृंग सांवरा ,
नवोन्मेष से भरा।
डली-डली लजा रही, लुभा रहा उसे छली।

नया विवर्त वर्ष है, उमंग और हर्ष है।
समूल सृष्टि में नई , उमीद की प्रभा जली।

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 4 Comments · 282 Views
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