वसंत ऋतु
बसंत ऋतु
मधुमास,बसंत ऋतु
ऋतुओं का राजा
वातावरण रहें तरो ताजा।
न ज्यादा गर्मी,न ज्यादा सरदी
सबका मनभावन मौसम
महके हर किसी का तन-मन।
नवयौवना सी फैली हरियाली
वसुंधरा की छटा निराली
भँवरे-तितलियाँ उड़ते रे आली ।
पीली चुनर ओढ़े सरसों खड़ी
नैसर्गिक सौंदर्य सबसे अड़ी
दूर क्षितिज तक मोतियों जड़ी ।
वातावरण में खुश्बू लबलबाती
जीवन में नव प्राण जगाती वृक्षों की साँसें घर भर जाती।
बसंतअद्भुत प्रकृति रूप
अनुपम छटा रहे निहार
सदा वसंत रहे ,मन करे विहार।
नीरजा शर्मा