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21 Feb 2021 · 1 min read

वर्षा ऋतु

वर्षा आई वर्षा आई
लेकर हरियाली की चादर आई
रिम झिम रिम झिम गिरे फुवार
मेंढ़क उछले आंगन द्वार
पंक्षी भी अठखेली करते
पंख भिगोते उड़ते फिरते
कोयल भी अब गीत सुनाती
मंद मंद धरती मुस्काती
हवा भी अब शीतल लगती
भीनी-भीनी धरती महकती
फूलों से सजी फुलवारी
लगती सुंदर प्यारी-प्यारी

—- डां. अखिलेश बघेल —-
दतिया ( म.प्र.)

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