वर्षा ऋतु हाइकु
“वर्षा ऋतु” हाइकु
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(१) काले बादल
हँसता मरुस्थल
सौंधी खुशबू ।
(२)काली चूनर
सतरंगी डोरियाँ
दामिनी ओढ़े ।
(३)मेघ मल्हार
बूँदों की सरगम
भीगा मौसम ।
(४)भीगी पलकें
नयना नीर भरे
मेघा बरसे ।
(५)बूँदों का स्पर्श
पर्वत सकुचाए
धरा मुस्काए ।
(६)मेघा बरसे
सावन उपहार
कौंधी दामिनी ।
(७)प्रीत का मेला
सावन अलबेला
वर्षा की झड़ी ।
(८)बरखा प्रीत
बरसाती संगीत
नाचे मयूर ।
(९)तडित प्यास
पनघट उदास
बरसो मेघा ।
(१०)बरखा डोली
बिरहन बदली
भीगी पलकें ।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी(म-9839664017)