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18 May 2021 · 1 min read

वर्षागीत

वर्षागीत
// दिनेश एल० “जैहिंद”

कौन है ऐसा जिसे मेघा नहीं सुहाता,,,,,,

बाल-गोपाल शोर मचाते हैं,
युवा-नर-नारी मौज़ मनाते हैं |
सजनी यादों में खो जाती है,
कुँवारे सपनों में रम जाते हैं ||
बूढ़ा भी आसमान में देख मंद-मंद मुस्काता,,,,,

मेंढ़क टर्र-टर्र की आवाज़ लगाते हैं,
झींगुर झन-झन का राग सुनाते हैं |
मीन बेचारी अपनी प्यास बुझाती,
मोर ठुमक-ठुमक नाच दिखाते हैं ||

है कोई ऐसा जिसे बरसा-जल नहीं लुभाता,,,,,

कोयल कू-कू कर गीत गाती है,
गोरैया भी जल में नाच लगाती है |
चातक भी मीठे बोल सुनाते हैं,
मैना झूम-झूम कर खूब नहाती है ||

कौन है ऐसा जो बारिश देख नहीं मुस्कुराता,,,,,

कुकुरमुत्ते भी अब उग आते हैं,
कनचट्टे भी नव जीवन पाते हैं |
कितने नव-जीव धरा पर आते,
ये सब धरती के मान बढ़ाते हैं ||

बिजली की कड़क से बाल-समूह डर जाता,,,,,,

लुप्त नदियाँ प्रकट हो आती हैं,
झरनी भी लय में गुनगुनाती है |
ताल-तलैया सब भर जाते हैं,
तब बाग़-बगिया भी हरसाती हैं ||
सागर भी उफान मार कर ख़ुशियाँ दरशाता,,,,,

==============
दिनेश एल० “जैहिंद”
जयथर, मशरक, छपरा

2 Likes · 4 Comments · 557 Views

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