वर्तमान
बहुत सरल है
वर्तमान में रहना
किन्तु जैसे सरल रेखा में
कठिन वक्र रेखा
नहीं ढल पाती
हमारा कठिन मन भी
वर्तमान में नहीं टिक पाता ।
अतीत भविष्य के पाटों में
झूलता मन
वर्तमान को दबा देता है ।
ये दबा हुआ वर्तमान
अपनी टीस धकेल देता है
कुछ अतीत को
तो कुछ भविष्य को |
बस पूरा जीवन हम
यही टीस ढोते रहते है
और नित वर्तमान
बस पिसता ही रहता है।
आओ कुछ सरल बने
बस आज को जिएं
तन्मयता से घुल जाएं आज में
जैसे बस आज ही जीवन
फिर सब सुभग हो जाएगा ।