Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 2 min read

वर्तमान समय और प्रेम

प्रेम का सौन्दर्य वर्तमान समय मे प्रेम के विषय मे कितना कुछ लिखा जाता है कहा जाता है और उसको उसी रोचकता के साथ पढा और सराहा भी जाता है परन्तु सभी भिन्न है और सभी के लिए प्रेम मे सौन्दर्य के आयाम भी अलग अलग होते है स्वभाविक सा है .. परन्तु प्रेम मे आत्मिक सुख का जो विषय या पहलू है वो विराला ही मिलता है क्यूँकि यही सब कुछ प्रेम को विलक्षण और दुर्लभ बनाती है..प्रेम मे आत्मिक सुख का स्थान यूँ तो सर्वोपरि है परन्तु कुछ इसे बाहरी सुन्दरता या शारीरिक विशेषताओं से संबंधित करके देखते है आत्मिक सुख से अर्थ है यहाँ की जब आप किसी व्यक्ति विशेष के साथ एक अनन्य प्रेम या भावनाएं साझा करते है या उस व्यक्ति का आपके जीवन मे विशेष स्थान होता है जिससे आप अपने ह्रदय की पीडा या वेदना या फिर आपकी प्रसन्नता या चाहे फिर वो कोई ऐसी बात जो सबसे छुपाकर रखी हो आपने … जब इस स्तर पर कोई आपसे साझा करता है तो आप उन्हें एक अलग नजर से देखते है और समझते है और ये प्रेम आपको निर्विकार करता हुआ आपको प्रेम के उच्च स्तर पर स्थापित कर देता है जहाँ आपको प्रेमी की एक झलक मात्र क्षणिक सुख से निका ल कर समृद्ध बना देती है और आप इसे महसूस करते है … उनकी उपस्थिति आपके मौन और लज्जा और नेत्रो से होने वाली अदृश्य वार्तालाप को थोडा सहज कर देती है और जब आप कभी थोडे सहमे हो या असहज होते है तो यही प्रेम और इसका अनुभव आपको कठिन से कठिन मार्ग पर पथ प्रदर्शन करता है .. कही ना कही आपको एक विश्वास होता है और एक आस्था होती है की यदि विकट परिस्थिति भी हो तो आप इससे निकल सकते है..प्रेम मे त्याग समर्पण और प्रतिक्षा तो स्वभाविक से शब्द लगते है परन्तु आत्मा तक जाने वाले प्रेम को शारीरिक लालसाओ से कोई सरोकार नही होता है..वो बस प्रेम को लालायित होता है । जितना सरल शब्दो मे लगता है ये प्रेम..वास्तविकता मे ये उतना ही कठोर और कठिन है जिसकी प्राप्ति सरल हो सकती है परन्तु इसका पथ उतना ही दुर्गम और कठिन होता है और शायद यही वास्तविक प्रेम को भिन्न बनाती है ..

Language: Hindi
80 Views

You may also like these posts

"जीवन का कुछ अर्थ गहो"
राकेश चौरसिया
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
गुमनाम 'बाबा'
सब भूल गये......
सब भूल गये......
Vishal Prajapati
भोर
भोर
Kanchan Khanna
* संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 6 अप्रैल
* संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 6 अप्रैल
Ravi Prakash
होते हैं हर शख्स के,भीतर रावण राम
होते हैं हर शख्स के,भीतर रावण राम
RAMESH SHARMA
#घर वापसी
#घर वापसी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
Rituraj shivem verma
चाहे हम कभी साथ हों न हो,
चाहे हम कभी साथ हों न हो,
Jyoti Roshni
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
अरशद रसूल बदायूंनी
परिवार बचाओ (सामाजिक गीत)
परिवार बचाओ (सामाजिक गीत)
Dr. P.C. Bisen
*आज़ादी का अमृत महोत्सव*
*आज़ादी का अमृत महोत्सव*
Pallavi Mishra
प्यार कर रहा हूँ मैं - ग़ज़ल
प्यार कर रहा हूँ मैं - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
Zbet– nơi bạn khát khao chinh phục những đỉnh cao thắng lợi
Zbet– nơi bạn khát khao chinh phục những đỉnh cao thắng lợi
zbetdoctor
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
लगाकर तू दिल किसी से
लगाकर तू दिल किसी से
gurudeenverma198
करुणभाव
करुणभाव
उमा झा
जिसे जीना हो
जिसे जीना हो
Manoj Shrivastava
नई रीत विदाई की
नई रीत विदाई की
विजय कुमार अग्रवाल
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
இந்த உலகில் எல்லாமே நிலையற்றது தான் நிலையானது இன்று நாம் நின
இந்த உலகில் எல்லாமே நிலையற்றது தான் நிலையானது இன்று நாம் நின
Otteri Selvakumar
ईमानदारी का सबूत
ईमानदारी का सबूत
Sudhir srivastava
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खुशियों की दीवाली हो
खुशियों की दीवाली हो
sushil sharma
आजादी का जश्न मनायें
आजादी का जश्न मनायें
Pratibha Pandey
माल हवे सरकारी खा तू
माल हवे सरकारी खा तू
आकाश महेशपुरी
"उम्मीद का दीया"
Dr. Kishan tandon kranti
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ जाते है😥😥
पूर्वार्थ
आज नहीं तो कल निकलेगा..!
आज नहीं तो कल निकलेगा..!
पंकज परिंदा
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
MUSKAAN YADAV
Loading...