वर्तमान समय और प्रेम
प्रेम का सौन्दर्य वर्तमान समय मे प्रेम के विषय मे कितना कुछ लिखा जाता है कहा जाता है और उसको उसी रोचकता के साथ पढा और सराहा भी जाता है परन्तु सभी भिन्न है और सभी के लिए प्रेम मे सौन्दर्य के आयाम भी अलग अलग होते है स्वभाविक सा है .. परन्तु प्रेम मे आत्मिक सुख का जो विषय या पहलू है वो विराला ही मिलता है क्यूँकि यही सब कुछ प्रेम को विलक्षण और दुर्लभ बनाती है..प्रेम मे आत्मिक सुख का स्थान यूँ तो सर्वोपरि है परन्तु कुछ इसे बाहरी सुन्दरता या शारीरिक विशेषताओं से संबंधित करके देखते है आत्मिक सुख से अर्थ है यहाँ की जब आप किसी व्यक्ति विशेष के साथ एक अनन्य प्रेम या भावनाएं साझा करते है या उस व्यक्ति का आपके जीवन मे विशेष स्थान होता है जिससे आप अपने ह्रदय की पीडा या वेदना या फिर आपकी प्रसन्नता या चाहे फिर वो कोई ऐसी बात जो सबसे छुपाकर रखी हो आपने … जब इस स्तर पर कोई आपसे साझा करता है तो आप उन्हें एक अलग नजर से देखते है और समझते है और ये प्रेम आपको निर्विकार करता हुआ आपको प्रेम के उच्च स्तर पर स्थापित कर देता है जहाँ आपको प्रेमी की एक झलक मात्र क्षणिक सुख से निका ल कर समृद्ध बना देती है और आप इसे महसूस करते है … उनकी उपस्थिति आपके मौन और लज्जा और नेत्रो से होने वाली अदृश्य वार्तालाप को थोडा सहज कर देती है और जब आप कभी थोडे सहमे हो या असहज होते है तो यही प्रेम और इसका अनुभव आपको कठिन से कठिन मार्ग पर पथ प्रदर्शन करता है .. कही ना कही आपको एक विश्वास होता है और एक आस्था होती है की यदि विकट परिस्थिति भी हो तो आप इससे निकल सकते है..प्रेम मे त्याग समर्पण और प्रतिक्षा तो स्वभाविक से शब्द लगते है परन्तु आत्मा तक जाने वाले प्रेम को शारीरिक लालसाओ से कोई सरोकार नही होता है..वो बस प्रेम को लालायित होता है । जितना सरल शब्दो मे लगता है ये प्रेम..वास्तविकता मे ये उतना ही कठोर और कठिन है जिसकी प्राप्ति सरल हो सकती है परन्तु इसका पथ उतना ही दुर्गम और कठिन होता है और शायद यही वास्तविक प्रेम को भिन्न बनाती है ..