वर्तमान और जीवन
वर्तमान और जीवन
जन्मते हैं सभी
वर्तमान में।
करते हैं सभी
जीवन की शुरुआत
वर्तमान में जीने से।
ज्यों-ज्यों
होते जाते हैं बड़े
खोते जाते हैं
अतीत की यादों में
या फिर
भविष्य के
सुनहरे सपनों में।
पूर्वजन्म व पुनर्जन्म
की अवधारणा में
स्वर्ग-नरक
की परिकल्पना में
मोक्ष-मुक्ति
के लोभ-लालच में
धीरे-धीरे
लगते हैं भूलने
वर्तमान में जीना।
लेकिन अंत में
मरते हैं सभी
वर्तमान में।
-विनोद सिल्ला