वर्ण-व्यवस्था
वर्ण-व्यवस्था
सुखदेव अपनी बीमार बेटी को इलाज के लिए अस्पताल में ले गए। पर्ची कटवाई।
सुबह-सुबह जल्दी इसलिए गया, ताकि जल्दी बारी आ सके।
वह चिकित्सक के कक्ष के प्रवेश द्वार पर टकटकी लगाए, अपनी बारी का इंतजार कर रहा था।
उसे ध्यान आया कि उसका नंबर तो दसवां है। लेकिन मरीज तो 15-20 जा चुके हैं।
उससे रहा नहीं गया तो चिकित्सक के सहायक से पूछ ही लिया।
सहायक ने बताया, “आपने 100/- रु• वाली पर्ची कटवाई है।
आपसे पहले अपॉइंटमेंट वाले मरीज भेजे गए हैं जिनकी पर्ची 250/- रु• की कटी है।
इमर्जेंसी की फीस 500/- रु• है। जिन्हें डॉक्टर पर्ची कटते ही देखते हैं।
सहायक की बात सुन सुखदेव बुदबुदाया, यह तो आधुनिक काल की वर्ण-व्यवस्था है।
वह दुखी मन से बारी का फिर से इंतजार करने लगा।
-विनोद सिल्ला