वर्ण पिरामिड
(1)
क्यों ?
वृ क्षों
प र्व तों
ने वल्कल
छो ड़ दिए हैं
नानी ने कहानी
प न घ ट ने पानी
(2)
हैं
अश्क
चे ह रे
को भीगोते
खूब रुलाते
जिन्दगी तो हुई
दुःखों का पनघट ।।
(3)
ना
जाऊं
मय्या
पनघट
कनुवा छेड़े
कलाई मरोड़े
पानी ना भरने दे ।।
(4)
ना
आज
रहे वो
पनघट
जिससे पानी
लाते झटपट
बचे हैं मरघट
माणिक्य बहुगुणा