वरिष्ठ नागरिक का है अधिकार
जिन अपनो ने घर है दिया,
उनको ही हमने बेघर है किया,
मजबूरी का हवाला देकर,
वृद्धा आश्रम में सब्र है किया,
वरिष्ठ नागरिक है जो अपने,
अपनों ने प्रीत से वंचित है किया,
वट वृक्ष की छाया के जैसे,
पाल पोश के बड़ा है किया,
कर्तव्य जीवन का निर्वाह है किया,
हक़ है उनका आनंद से जिए सदा,
वरिष्ठ नागरिक समाज में अपने,
अपने सपनो के संग मुस्कुराऐंगे ज़रा,
आशीर्वाद और अनुभव देते है सदा,
बेघर मत करो बुजुर्ग हुए तो क्या,
होता है घर बिखरने का दर्द ज़रा गहरा,
सम्मान करना सम्मान से जीना,
हर वरिष्ठ नागरिक को अधिकार है मिले।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।