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8 Feb 2024 · 1 min read

*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना

हे वीणावादिनी! वाणी में मधुरता भरो।
हे बुद्धिदायिनी! दूर मानसिक जड़ता करो।
अज्ञान रूपी तम का माँ होता रहे शमन,
हे तमहारिणी! रौशन अम्न का रास्ता करो।

हे कमलधारिणी! जीवन सुगन्धित करो।
हे मुक्तिदायनी! ख़ुद से अनुबन्धित करो।
लेखन रूपी कमल मैं खिलाती रहूँ सदा,
हे हंसवाहिनी! शब्द-सरिता यूँ स्पन्दित करो।

हे वरदायिनी! वरद हस्त सिर पर धरो।
हे शुभकारिणी! ज्ञान-वारिधि से भरो।
मुझ अकिंचन का मन न रहे कलुषित
हे कुमुदिनी! अग्रसर मुझे सुपथ पर करो।

6 Likes · 5 Comments · 1508 Views
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