वरदान
“वरदान”
वरदान दो, हे! मां विद्यादायनी।
हमसब बालक हैं तेरे, अज्ञानी।
बिन तेरे दया , कहीं ज्ञान कहां;
दया कर दो, हे!मां हंसवाहिनी।
सभी कहते तुझको, मां भारती।
करते हैं सब जन , तेरी आरती।
जन-जन करते, सदा तेरी पूजा;
‘वरदान’ दे दो , माता सरस्वती।
तुम ही गीतों को, स्वरदान देती।
सभी भक्तों को,तू ‘वरदान’ देती।
हम भी कर फैलाये , खड़े हैं मां;
काश,तुम मेरी भी कष्ट हर लेती।
हे! मां तू ही हो, जगतकल्याणी।
तू धारे , ‘कमल’ व ‘वीणापाणी’।
विद्या,ज्ञान और वाणी मिले तब;
वरदान तुझसे , पाते जब प्राणी।
हर मन बसंत में , बसे मां शारदे।
‘वरदान’ से,सबके जीवन तार दे।
हर प्राणी के,निर्जन मन मंदिर में;
मां ही सदा,संगीत व सुर ताल दे।
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#स्वरचित_सह_मौलिक;
……..✍️पंकज ‘कर्ण’
…………….कटिहार।