वरदान
वरदान
जगज्जननी दे दो इक वरदान।
आ जाये जीवन देश के काम।
भारत माँ के लिए शीश कटा दूँ,
देशद्रोहियों के छक्के छुड़ा दूँ।।
भारत माँ पर आंच आने न पाए।
शत्रु हाथ से निकल जाने न पाए।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक बस,
हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा ही लहराये।।
स्वभाव हो हमारा किसलय की तरह।
डटे रहें हम खड़ा हिमालय की तरह।
लाख मुश्किलें आने पर भी न घबराएँ,
कदम हमारा आगे ही बढ़ता जाए।।
इस देश में जितने भी फनकार हो।
सर्वत्र भारत माता की जयकार हो।
हर गीतों में भारत का गुणगान हो,
देश हमारा सब देशों में महान हो।।
चारों तरफ फैली हो इस देश में खुशहाली,
मिट्टी से आये खुशबू और दिखे हरियाली।
सर्षप के पौधे हों,फसलों की क्यारी दिखे,
शस्यश्यामला सर्वत्र हो,धरा ये प्यारी दिखे।।
इस देश के वासी होने का हमको गौरव हो,
वन्दे मातरम् ही यहाँ पक्षियों का कलरव हो।
वास्तविकता दिखे यहाँ न किञ्चित् अतिशय हो,
गाए निकेश हे भारत माता! तेरी सदा विजय हो।।
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रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597